tag:blogger.com,1999:blog-4133230957740200696.post5236332689080344612..comments2016-05-21T13:54:35.630+05:30Comments on Kanchan Neeraj: मां और तन्हाईKanchan Lata Jaiswalhttp://www.blogger.com/profile/12928540915299608831noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4133230957740200696.post-50130611800794487742012-05-01T17:44:33.521+05:302012-05-01T17:44:33.521+05:30माँ और तनहाई का रिश्ता
अटूट है ,
माँ चावल से बत...माँ और तनहाई का रिश्ता <br />अटूट है ,<br />माँ चावल से बतियाती है <br /> और फिर खुद ही <br /> एक पलटता हुआ पन्ना बन जाती है <br /> किसी डायरी का .......<br /><br />.....बहुत प्यारी कविता है कंचन. माँ होने के गौरव और संघर्षों का बोध कराती हुई.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03514753057178092961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4133230957740200696.post-76234444502378535182012-05-01T10:43:57.366+05:302012-05-01T10:43:57.366+05:30वाह कंचन, बच्चे के विकास में मां की भूमिका और उस...वाह कंचन, बच्चे के विकास में मां की भूमिका और उसके मन को आपने इस कविता में बहुत मनोयोग से बुना है। सहज सरल भाषा में अच्छी संवेदनात्मक व्यंजना इस कविता को एक आत्मीय लहजा प्रदान करती है। बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.com