चयन
तुम्हें नहीं होना था कहीं
इसलिए तुम कहीं नहीं थे।
इसीलिए तुम्हारी आंखें
देख रही थीं आकाश।
मैं थोड़ा झुकी हुई थी
संतुलन बनाने के लिए
तुम्हारी तरफ।
जैसे धरती झुकी हुई है थोड़ी सी।
और इस तरह
जीवन ने इक जाल बुना
और मुझे चुन लिया
तुम्हारी अपेक्षाओं के लिए।
कंचन
तुम्हें नहीं होना था कहीं
इसलिए तुम कहीं नहीं थे।
इसीलिए तुम्हारी आंखें
देख रही थीं आकाश।
मैं थोड़ा झुकी हुई थी
संतुलन बनाने के लिए
तुम्हारी तरफ।
जैसे धरती झुकी हुई है थोड़ी सी।
और इस तरह
जीवन ने इक जाल बुना
और मुझे चुन लिया
तुम्हारी अपेक्षाओं के लिए।
कंचन