Monday 9 October 2017

चयन
 तुम्हें नहीं होना था कहीं
इसलिए तुम कहीं नहीं  थे।
इसीलिए तुम्हारी आंखें
देख रही थीं आकाश।

मैं थोड़ा झुकी हुई थी
संतुलन बनाने के लिए
तुम्हारी तरफ।
जैसे धरती झुकी हुई है थोड़ी सी।

और इस तरह
जीवन ने इक जाल बुना
और मुझे चुन लिया
तुम्हारी अपेक्षाओं के लिए।

कंचन

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