वक्त के साथ गुजर जाऊं तो अच्छा है ,
बहते हुए जल के साथ बह जाऊं तो अच्छा है ,
ठहराव न हो ,पावों में न हो जकड़न,
बहती हवा के साथ उड़ जाऊं तो अच्छा है ,
दिल की राहो में दिलबर का हो साथ तो अच्छा है ,
आँखों के चिराग हों महफूज़ वक़्त के थपेड़ों से ,
ग़ज़ल बन के गुनगुनाऊँ तो अच्छा है,
बसंत की मानिंद भर बन के मुस्कुराऊं तो अच्छा है |
@कंचन