Monday, October 10, 2011

GEET

वक्त  के साथ गुजर जाऊं  तो अच्छा है ,
बहते हुए जल  के साथ बह  जाऊं तो अच्छा है ,
ठहराव  न हो ,पावों में न हो जकड़न,
बहती हवा के साथ  उड़ जाऊं  तो अच्छा  है ,
दिल की राहो  में दिलबर का हो साथ तो अच्छा है , 
आँखों  के चिराग हों  महफूज़ वक़्त  के थपेड़ों से ,
ग़ज़ल बन के गुनगुनाऊँ  तो अच्छा है,
बसंत की मानिंद भर बन के  मुस्कुराऊं  तो अच्छा है |
               @कंचन














Sunday, October 9, 2011

RET ME NAV

कैसे चलेगी जीवन की नाव
सूखे, रेत के रेगिस्तान में
रेत  में  नाव  नही  चलती
नाव के लिए पानी चाहिए 
चाहे छोटी  सी नदी  हो |
थोडा बड़ा  समन्दर हो |
पानी की तरलता चाहिए 
चाहे लहरों  के थपेड़े हों ,
मनभावनी  बयार  हो ,
साथ में पतवार  हो ,
जो नाव को पानी पर  चला सके
मनचाही दिशा में  ले  जा सके |
रेत में  कहीं  नाव चलती है |
नहीं ,रेत में नाव नहीं चलती |