वक्त के साथ गुजर जाऊं तो अच्छा है ,
बहते हुए जल के साथ बह जाऊं तो अच्छा है ,
ठहराव न हो ,पावों में न हो जकड़न,
बहती हवा के साथ उड़ जाऊं तो अच्छा है ,
दिल की राहो में दिलबर का हो साथ तो अच्छा है ,
आँखों के चिराग हों महफूज़ वक़्त के थपेड़ों से ,
ग़ज़ल बन के गुनगुनाऊँ तो अच्छा है,
बसंत की मानिंद भर बन के मुस्कुराऊं तो अच्छा है |
@कंचन
कंचन जी बहुत ही अच्छा लिखतीं हैं आप.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
agar aisaa ho to bahut achha ho ...nice very nice Kanchan
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