क्या हुआ? जो तुम हिन्दू हो मैं मुसलमान हूँ,
तुम भी इन्सान हो, मैं भी इन्सान हूँ |
जलते हैं चिराग मुहब्बत के जब दिलों में,
मिट जाते है फर्क सभी, इन्सान और इन्सान में |
फर्क क्यूँ ,कितना ,कैसा है कोई समझाए ,
खून का रंग कहाँ जुदा है कोई बतलाये |
दर्द मुफलिसी का एक -सा है जमाने में ,
फिर कहाँ कोई गैर है ,इस अफसाने में |
सच है कि तुम हिन्दू हो ,मैं मुसलमान हूँ ,
तुम भी इन्सान हो ,मैं भी इंसान हूँ |
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very nice..
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