Monday, September 26, 2011

jivan

संयत  कर  अपने मन को ,
अपनी भावनाएं अपने जीवन को 
सपनो की दुनिया से  बहार निकल 
जीवन को सजाना ,
संवारना नये सिरे से 
फिर से बार -बार 
एक नही अनेको बार 
विश्वास के धागे को सीना
सीते  हुए आगे बढना
निरंतर 
नये जीवन नये सपनो 
नई धरोहर के लिए 
क्यूँ की 
सिर्फ जीना 
और एक जीवन जी कर 
मर जाना ही जीवन नही है|
साहस  कर निरंतर उठना ,
पराजय को  ललकारना 
पछाड़ना 
और प्रगति के  मार्ग  को 
परास्त करना ही जीवन है|
धरोहरों को सहेजना 
और उनसे नई  संरचना 
का  निर्माण  करना ही 
जीवन है|
   @कंचन
  

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