Tuesday, April 17, 2012

Kanchan Neeraj: दो मौसम

Kanchan Neeraj: दो मौसम: देखा दरख़्त की छाँव में ,   दो मौसमों  को एक  साथ  बैठे हुए , एक बासंती दूसरा शरद . दूरियां मौसमी थीं  जिन्हें दिलों ने नही स्वीकारा और साथ ह...

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